
॥ द्वादश ज्योतिर्लिङ्गानि ॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा ।
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे ।
हंसासंन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भज दस भुज अति सोहें ।
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला रुण्ड़मालाधारी ।
चंदन मृदमग सोहें, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें ।
सनकादिक ब्रम्हादिक ,भूतादिक संगें
ॐ जय शिव ओंकारा
कर के मध्य कमड़ंल चक्र त्रिशूल धरता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी ।
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा।
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा